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कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी के कुछ चित्र पके लिए.....महायोगी जी को साधारणतय: देख कर उनकी दिव्यता और विराटता का अनुमान कोई नहीं लगा सकता.....एक ओर जहाँ महायोगी जी बहुत ही साधारण हैं......भारत भूमि के आदर्श नागरिक तो वहीँ दूसरी ओर महायोगी जी महाहिमालय के सबसे बड़े योगी भी हो सकते हैं इस बात पर सहज यकीन नहीं हो पाता.....लेकिन मायाधारियों की पहचान मुश्किल ही होती है....करोड़ों लोगों के प्रिय.....परम शिव भक्त महायोगी जी महाराज तो स्वयं शिवमय ही लगते हैं.....महायोगी जी के दर्शनों से साधकों को दिव्य लाभ प्राप्त होता हैं......कौलान्तक पीठाधीश्वर की ऐसी छवि मन को बरबस ही मोह लेती है.....महायोगी जी के सुन्दर चित्रों का यह संग्रह "कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज के शुभ दर्शन" आपको समर्पित                                                                  
 सूर्य योगी मधुविद्या नायक बला अतिबलाधारी श्री गुरु परमहंस 
 अणिमादी हादिकादी ज्ञाता श्री नाथ जी के शुभ दर्शन
 परम तपस्वी स्वरुप अग्नियोगी ब्रह्म नाद धारी श्री सत्येन्द्र नाथ जी महाराज 
 सौम्य एवं साधक स्वरुप में महाराज जी की मनोहर छवि
 कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज

 प्रपंच सार निर्मूलक सत्य मार्तंड आनंदघन
 रात्रिचारी शिवस्वरूप त्रिकुल नायक महाअबधूत परमहंस

 महाशिव पंथी शाक्त पंथी योग भास्कर चक्रराज  

 अनंत साधनाओं के महाज्ञाता रहस्य पीठाधीश्वर महायोगी जी

 है हिमशिखरों पे जो लीन सदा सर्वेश्वरानंद स्वरुप
 निस दिन बाहिरी  भीतर मैं ! ध्याऊँ  छवि तिहारी
 प्रकृति को भीतर उतार लेने की महारहस्यमयी ध्यान साधना

 तू क्रिया योग की मूर्ति गुरुवर ! तू ही हठ योग को सार

 हठ योग की महामुद्रा में पीठाधीश्वर महायोगी जी

 अद्भुत महासमाधि धरे जोगी चित्त विश्रांति में लीन

 गुरुवर तू ही इष्ट है ! तू ही गोत्र हमार
 कब आओगे जोगिया ये जग बाट निहारे तोरी
 चिर ध्यान में बैठे जोगी ! सदा  ! तप करे घनघोर
 लम्बी समाधी के बाद उठ कर आते श्रद्धेय महायोगी जी 

 हे राम! ना पग पे पुष्प तिहारे ना फूलन की माला 

 सतजुग का तू जोगिया काहे कलिजुग प्रगट भयो 

 तू साधना तप की मूर्ती जोगिया ! अद्भुत तेरा ज्ञान

 पग में सोहे प्रकृति ! सोहे मस्तक पे गिरिराज

 हिमालय पुत्र महायोगी ध्रुव ध्यान की अवस्था में  
 जलमध्ये ध्यान धरे जो सुरतिया ब्रह्म लीन

 तप की जीवंत प्रतिमा श्री योगेश्वर सत्येन्द्र नाथ जी योगी

 जिनके रोम रोम में बसे साधना मन ईशचरण में लीन 

 अरण्य में महायोगी जी उत्थित ध्यानावस्था धारे

 महायोगी जन जन तक आध्यात्मिक रहस्य पहुंचाते हुए 

 भारत के बिबिध चैनलों द्वारा ज्ञान विज्ञान का प्रसार  
आशा है कि हमारा ये प्रयास आपको अवश्य अच्छा लगा होगा....नए नए विशेष कार्यक्रमों के लिए व महायोगी जी एवं कौलान्तक पीठ तथा देश विदेश से जुडी हर खबर के लिए आप लगातार देखते रहिये कौलान्तक टीवी.....जहाँ धार्मिक चैनलों ने संतो से पैसे बटोर बटोर कर और पैसे ले कर केवल धनाधीशों को जनता के सम्मुख प्रस्तुत किया...वही हम इसके विपरीत एक सच्चे हिमालय के योगी का दिव्य ज्ञान आपके सामने ले कर उपस्थित हैं.....हम धन को नहीं मानवता को प्रमुखता देते हैं                                       
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